Thursday, July 26, 2018

GURU PURNIMA 2018

 गुरु पूर्णिमा 2018

(गुरु पूर्णिमा 2018 – जानिये  गुरु पूर्णिमा का महत्तव हिंदी में)





गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः


श्लोक का अर्थ - गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है; गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है; उन सद्गुरु को प्रणाम

गुरु का अर्थ- “गुरु” शब्द का अपने आप में ही अतुलनीय और अनमोल महत्व है | गुरु एक ऐसे दिव्य व्यक्ति  होते है जो हमें अज्ञानता रूपी अंधकार से  से प्रकाश की और ले जाते है , हमारी मुश्किलों में हमारी ढल बनकर खड़े हो जाते है , हमारे गलत निर्णय में हमारा मार्ग दर्शन करके हमें सही मार्ग पर ले जाते है , गुरु ऐसे चमत्कारी व्यक्ति  होते है जिनके सानिध्य में हर व्यक्ति अपूर्ण से पूर्ण हो जाते है | 

गुरु पूर्णिमा का आरम्भ और उसे मनाने की तिथि  - माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने उत्तर प्रदेश में सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था, तभी से उनके अनुयाइयों  द्वारा उन्हें अपना गुरु मानकर इस दिन को बड़े उत्साह और उमंग के साथ से मनाया जाने लगा |

गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ माह में आने वाली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, इस साल ये पर्व  27 जुलाई 2018 को मनाया जा रहा है | 

गुरु पूर्णिमा का महत्व :-  भारत में  गुरु पूर्णिमा का खास महत्व है , भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी इसे बड़े धूम धाम से  मनाया जाता है. नेपाल में गुरु पूर्णिमा के दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है और शिक्षक दिवस के रूप में इस दिन को मनाया जाता है.|
ऐसा माना जाता है की इस दिन भगवान शिव ने सप्तऋषि को योग सिखाया था, उसी के चलते भगवन शिव को ब्रह्मांड का पहला गुरु माना जाता है|


 गुरु पूर्णिमा मनाने की विधि :- इस दिन हर व्यक्ति जिन्होंने गुरु नाम ले रखा है वो अपने गुरु से आर्शीवाद लेने गुरु स्थान पर पहुँचता है , गुरु के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हुए गुरु के लिए भेट /उपहार ले जाते है , सच्चे मन से गुरु की सेवा करते है, गुरु भक्ति में अपना मन लगाते है और गुरु से आशीर्वाद ग्रहण करते है |


गुरु पूर्णिमा पर गुरु को कैसे खुश किया जाये :-  गुरु पूर्णिमा पर गुरु को खुश करने का सबसे आसान तरीका यही है की सच्चे मन से गुरु की भक्ति  की जाये और गुरु के चरणों में जीवन समर्पित किया जाये यही सच्ची गुरु दक्षिणा होगी एक शिष्य की और से अपने गुरु को | अंत में बस यही कहना चाहेंगे –
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।


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